Paddy Update:धान की फसल में लगने वाले खतरनाक रोगो की रोकथाम कैसे करे

Paddy Update:नमस्कार किशन भाई स्वागत है आपका एक और शानदार आर्टिकल में जैसे कि आप सभी जानते हैं। खरीफ मौसम में धान की फसल की रोपाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। और इस समय धान की फसल पर हानिकारक कीट एवं रगों का खतरा मंडरा रहा है। 

Paddy Update
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जो पूरी फसल को नष्ट कर सकते हैं। इस समय धना की फसल में लगने वाला भूरा फुदका जिसे भरा मधुआ या फुदका किट और तेला किट भी कहा जाता है। यह धन की फसल के लिए बेहद खतरनाक होता है। भूरा फुदका की धान के पौधोंका रस चूस धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचना है। यदि इसका समय रहते रोकथाम नहीं की जाए तो यह धन की पूरी फसल को नष्ट कर देता है।

भूरा मधुआ या फुदका रोग के लक्षण

धान की फसल में लगने वाले इस रोग के प्रकट में आने धान के पौधे पौधे पूरी तरह से सुख जाते हैं। जिससे हाॅपरबनर्न नमक स्थिति उत्पादन होती है इस स्थिति में धान के पौधे पूरी तरह झूला जाते हैं। जिससे 100% तक फसल का नुकसानहो जाता है। किसानों को इस रोग की रोकथाम करनेके लिए सबसे पहले इसकी पहचान करना जरूरी है। क्यूट कीरोकथाम के लिए छोटी-छोटी बातों एवं समय-समय पर ध्यान रखकर कम लागत मेंधान की फसल को नुक्सान से बचाया जा सकता है।

धान के भूरा फुदका कीट (BPH) से रहे साबधान

अगस्त का महीना शुरू हो चुका है, ऐसे में अपने धान के खेतों का अच्छे से निरीक्षण कर लें। क्योंकि, कई बार इस महीने में ही धान की फसल पर ब्राउन हॉपर कीट (BPH) का प्रकोप शुरू हो जाता है।

इसकी रोकथाम से पहले इस कीट की पहचान करना जरूरी है। इसका लार्वा सफेद होता है, जिसकी लंबाई 0.6 मिमी होती है और पांचवीं अवस्था में यह बैंगनी-भूरे रंग का हो जाता है, जिसकी लंबाई 3.0 मिमी होती है। वयस्क हॉपर 4.5-5.0 मिमी लंबा होता है और इसका शरीर पीले-भूरे से गहरे भूरे रंग का होता है। अगर धान की फसल बढ़ रही है, तो नजर रखना जरूरी है। BPH का संक्रमण आमतौर पर सितंबर के पहले सप्ताह से शुरू होता है। धान का ब्राउन हॉपर कीट जड़ों के पास पौधे के निचले हिस्से में पाया जाता है और तनों का रस चूसता है। इस कीट की रोकथाम के लिए छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर फसल को होने वाले नुकसान और अधिक रसायनों के इस्तेमाल से बचा जा सकता है।

बीपीएच कीट की ऐसे करें रोकथाम कैसे करे

  • ब्राउन हॉपर कीट से प्रभावित खेतों में सीमित मात्रा में यूरिया का प्रयोग करें तथा खेतों में लगातार पानी भरा न रखें।
  • खेत से खरपतवार निकालें तथा मेड़ों को साफ रखें।
  • प्राकृतिक शत्रुओं जैसे मिरिड बग, मकड़ी आदि से बचाव करें। ये ब्राउन हॉपर को नियंत्रित रखते हैं।
  • यदि ब्राउन हॉपर कीट का प्रकोप प्रारंभिक अवस्था में दिखाई दे तो खेतों में लाइट ट्रैप तथा येलो स्टिक ट्रैप का प्रयोग करें।
  • यदि बीपीएच कीट का प्रकोप ईटीएल (आर्थिक सीमा स्तर) से कम है, अर्थात प्रति पौधे 5 कीटों से कम है तो जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है, जैसे 2.5 मिली नीम अर्क को एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • जैविक कीटनाशक मेटारिज़ियम एनिसोप्लिया 12-5 ग्राम को एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

कब और कौन सी दवाइयों का करें उपयोग

  • जब चावल की फसल पर प्रति पौधे 5-10 कीटों की संख्या ETL से अधिक हो जाए, तो किसी एक रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग करें।
  • यदि भूरे रंग के हॉपर कीट का प्रकोप अधिक हो, तो किसी एक कीटनाशक जैसे मिथाइल डेमेटन 25 EC 400 दवा प्रति लीटर या क्लोरपाइरीफोस 20 EC 500 मिली दवा या एसीफेट 75 प्रतिशत SP 250-400 ग्राम दवा या इमिडाक्लोप्रिड 178 SL 50 मिली दवा प्रति एकड़ का छिड़काव करें।
  • दवा का प्रयोग करते समय इसे 200 से 500 लीटर पानी के घोल में मिलाकर छिड़काव करें।
  • विभिन्न समूहों के कीटनाशकों का प्रयोग करें, ताकि कीटों में प्रतिरोध विकसित न हो।
  • वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई रासायनिक दवाओं का ही प्रयोग करें तथा एक साथ कई रसायनों का प्रयोग न करें।
  • रासायनिक दवाओं का प्रयोग करते समय फसल कटाई से पूर्व अंतराल (PHI) का ध्यान रखें, अर्थात फसल कटाई से कितने समय पहले रासायनिक दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है।

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