Sugarcane गन्ने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग एवं निरंतरम उपाय

Sugarcane गन्ने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग एवं निरंतरम उपाय

cane up in|cane up enquiry|cane up in login|cane up app|ganna enquiry |gaana app download|gaana app for pc |gaana app download apk|गन्ने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग एवं निरंतरम उपाय गन्ना हमारे देश में गुड़ और चीनी उत्पादन का आधार है। यद्यपि हमारा देश गन्ने के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है, परन्तु विश्व के अन्य देशों की तुलना में हमारे देश में इसकी प्रति हेक्टेयर उपज बहुत कम है। इस कम उपज के कई कारणों में गन्ने में लगने वाली कुछ बीमारियों का प्रमुख स्थान है।

गन्ने के रोग न केवल कुल उपज को कम करते हैं बल्कि गुड़ और चीनी की मात्रा को भी प्रभावित करते हैं। अधिकांश किसान गन्ने में लगने वाले रोगों की पहचान करने में असफल रहते हैं। जिससे फसल की पैदावार में भारी कमी आती है। अतः प्रस्तुत लेख में गन्ने की फसल में लगने वाले रोगों की पहचान एवं उनसे बचाव के उपाय दिये गये हैं। गन्ने की प्रमुख बीमारियाँ कवक, वायरस, परजीवी, माइकोप्लाज्मा और पोषक तत्वों की कमी के कारण होती हैं।

गन्ने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग  

 Sugarcane गन्ने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग एवं निरंतरम उपाय
                                                                    Sugarcane गन्ने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग एवं निरंतरम उपाय
  1. पोक्काबोइंग रोग :-यह गन्ने की एक गौण बीमारी है जो वायुजनित खण्डों फ्रैमरेनियम आयोडीनस्पोरम से प्रसारित होती है। पोक्का बोइंग फ्रैमगेरियम मोनिलिफोर्मी कवक के द्वारा आकर्षित किया गया है। पोक्का बोइंग रोग के लक्षण चोटी भेदक कीट के जैसे होने के कारण किसान इसके अच्छे से पहचान नहीं पाते हैं और गलत कीटनाशी का उपयोग कर लेते हैं। रोग के संक्रमण से खेती में अधिकतम 80 प्रतिशत तक क्षति देखी गई है।

उपाय:-

  • रोगग्रस्त रॉकेटों को उखाड़कर फेंक दें।
  • हेक्साकोनाजोल की 250 खुराक 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति सेकंड की दर से छिड़काव करें।
  • 200 लीटर पानी में 500 ग्राम कॉपर आयोडिन क्लोराइड तथा 500 ग्राम रोको औषधि को एक मिनट की दर से एक साथ मिलायें।
  • प्रति नक्षत्र की दर से 500 ग्रामोफिनेट मिथाइल निर्धारित करें।
  • 15 दिन के अंतराल पर अधिक संक्रमण। 

गन्ने का लाल सड़न रोग  

यह रोग कोलेलेटोट्रैचिम फाल्केटनामक प्रभाव से होता है। इसके कारण उपचार का संवाहन बीजाणु मैसीलियम के विकास के कारण बंद हो जाता है। यह विश्राम में बने भोजन और भोजन से लेकर पानी के साथ विभिन्न खनिजों को लाने का काम करता है।

विल्ट या उकठा रोग 

उकठा या विल्ट रोग चने की फसल का यह रोग प्रमुख रूप से नुकसान पहुंचाता है। इस रोग का प्रकोप इतना साइंटिफिक है कि पूरे खेत में इसका प्रकोप होता है। उकठा रोग का प्रमुख कारक फ्रैमगेरियम आयोडीनस्पोरम जिसे फफुद कहा जाता है। यह विकृति एवं बीज जनित रोग है।

  • यह रोग फ्रैग्मियम सैक्रोई नामक एक कलाकृति द्वारा विकसित किया गया है।
  • इस रोग के लक्षण और समस्या के बाद के परिणाम पर दुविधा हैं।
  • उकठा रोग से प्रभावित बैक्टीरिया के अंदर से खोखला हो जाता है फिर धीरे-धीरे पीलापन और बेरोजगारी का सूखाना, गनों का लचीलापन या सूखा जाना, जिससे फसल के भार में बहुत कमी आ जाती है।
  • यदि प्रभावित वास्तुशिल्प को अज्ञात न दिया जाए, तो उसका खुजला भूरा या भूरा रंग का दिखाई देगा, जिसमें एक विशिष्ट रंगीन गंध भी आती है।
  • इस रोग के बीजाणु में होने वाले किसी भी प्रकार की क्षति जैसे जड़वत छिद्रक, दीमक, सूत्रकृमी, जैविक और अजैविक घटक जैसे कि खाद्य पदार्थों की स्थिति, जल भराव आदि माध्यमों से इस रोग का प्रचलन बढ़ता है।
  • अंटार्कटिका भाग के अवशेष होते हैं और फ़्रांसीसी भाग के अवशेष होते हैं जो नाव के आकार की विशेषता वाले होते हैं।
  • रोगग्रस्त गननों में कैंसर की क्षमता ख़त्म हो जाती है, उपजी और चीनी के हिस्से में काफी कमी आ जाती है।

गन्ने का लाल धारी रोग 

गन्ने का लालधारी रोग पहचान हेतु लक्षण यह रोग फाइटोप्लाजमा द्वारा संक्रमित होता है तथा इसका प्रभाव वर्षा काल में अधिक रूप से देखने को मिलता है। डॉगी पौधों की पत्तियों का रंग सफेद हो जाता है। रोग ग्रस्त पौधों को खेत से निकालकर दूर नष्ट करें। जिससे आपकी बची हुई गन्ने की फसल में यह रोग नए फैल पाएं।

गन्ने का लाल फंगस कशकोलेटोट्राइकम फाल्कैटम के कारण होता है। यह पत्ती के मुरझाने स्टेबल राइजोम और गन्ने के पौधे में डंठल को प्रभावित करता है इस रोग को खत्म करने के लिए आप सभी को अपनी गन्ने की फसल में कोराजन या फटेरे नाम की दवाई का इस्तेमाल अपनी गन्ने की फसल में करें इससे यह रोग खत्म हो जाएगा और आपकी गन्ने की फसल अच्छी पैदावार देगी

ग्रासी शूट ऑफ शुगरकेन या घसैला रोग 

गन्ने की फसल में आने वाला ग्राफी सूट ऑफ शुगर केन या घसैला रोग की पहचान शुरुआती लक्षण 3 से 4 महीने के फसल में गन्ने की शीर्ष की नई पत्तियों पर जोकि बहुत घनी 32 सफेद कागज जैसी दिखाई देती है। बाद में इन पत्तियों के नीचे सफेद या पीले रंग के ब्यास या किल्ले बड़ी संख्या में निकल आते हैं।

यह रोग अलग-अलग गुटों में प्रकट होता है। यदि इस रोग की जल्द से जल्द कोई दवाई स्प्रे नहीं किया जाए तो यह गन्ने की फसल को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है अपनी गन्ने की फसल में यह रोग देखने के पश्चात ही इस रोग का उपाय करें जिससे आपकी गन्ने की फसल बर्बाद ना हो पाए ।

गन्ने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों की रोकथाम के उपाय 

गन्ने की फसल में लगने वाले रोगों से किस तरह बचाया जाए उसके रोकथाम क्या-क्या है 

  • गन्ने की फसल को लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई करें
  • गन्ने की फसल लगाने से पहले गन्ने के बीज की स्वस्थ बीज का उपाय करना चाहिए
  • गन्ने का बीज का चुनाव उस खेत से करें जिसमें कोई रोग न लगा हो
  • बीज उपचार करके ही फसल की अच्छी तरह से बुवाई करें

समस्त बीज जनित रोग जोकि फफूंदी विषाणु और माइकोप्लाजमा द्वारा होते हैं उन्हें गर्म हवा द्वारा उपचारित करके पूर्ण नियंत्रण किया जा सकता है। गन्ने के टुकड़ों को उपचारित करने के लिए उन्हें गर्म हवा 45 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर 4 घंटे तक रखा जाता है। इसके बाद उपचारित बीज को सामान्य तापमान पर ठंडा किया जाता है। गर्म हवा द्वारा उपचारित बीज को बाद में फफूंद नाशक के उपचारिक करना आवश्यक रहता है

फफूंद नाशक:- 

1 किलो ट्राईकोडर्मा को 100 किलो गोबर की खाद में अच्छी तरह से मिलाकर किसी छायादार स्थान में रखकर जूट की बोरी या धान की पुराल से ढक दें। 1 सप्ताह के बाद इस खाद को खेत में फैला दें और खेत की अच्छी तरह से जुताई करा दे

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