गन्ने का कैंसर लाल सड़न रोग ( कोलेटोट्राइकम फाल्केटम फफूंद ) की पहचान एवं उपचार
Cane up.in| cane up in| caneupin| caneup.in | enquiry caneup.in | up gov in | caneup | ganna parchi | caneup.in लाल सड़न रोग ( Red Rot ) गन्ने की फसल कुछ समय से आए हुए। किंतु जिनमें से गन्ने का कैंसर कहां जाने वाले लाल सड़न रोग से भी किसान इस समय बहुत परेशान है। तो आज हम सभी किसान भाइयों को इस रोग से बचने के लिए एवं इस रोग की इस तरह से पहचान कर सकते हैं यह सारी जानकारी अपने इस ले के माध्यम से बताएंगे
गन्ने का कैंसर अथवा लाल सड़न दो गन्ने की वढ भहार एवं मोटाई रोक देता है ।जिससे गन्ने मैं वज़न भी घट जाता है ।जिससे किसानों को भारी मात्रा में नुकसान झेलना पड़ता है । जिससे खेत में अधिक पैदावार कि नहीं हो पाती है। यदि आप भी इस रोग से परेशान है एवं आप इस रोग को आने से पहले नहीं पहचान पाते हैं तो आज हम सभी किसान भाइयों को इसकी पहचान एवं इसके उपचार किस तरह कर सकते हैं यह सारी जानकारी सभी किसान भाइयों को प्राप्त कराएंगे।
लाल सड़न रोग( कोलेटोट्राइकम फाल्केटम फफूंद ) के पहचान
- गन्ने की ऊपरी तीसरी – चौथी पत्ती किनारे से सूखने लगती है। नीचे की पत्तियों को हटाने पर ऊपर की सारी गाठों (Root Zone )से जड़ें निकलती दिखाई देने लगती है।
- पत्तियों के मध्य शिरा पर रुद्राक्ष की माला जैसी लाल – भूरे धब्बे पत्ती के दोनों तरफ दिखाई देने लगते है।
- उपरोक्त दोनों लक्षण दिखाई देने के कुछ ही दिनों बाद पूरा गणना सूखता हुआ दिखाई देगा।

प्रभावित गन्ने झुण्ड को जड़ सहित प्लास्टिक के खाली बोरे में भरकर खेत से बाहर निकाल कर जला दें, जिस स्थान से प्रभावित झुण्ड (थान) को निकाले गए प्रति स्थान पर 10 -15 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर का गड्ढे में बुरकाव मिट्टी से ढक दे । उसके तुरंत बाद 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ हेक्सास्टॉप (थायोफिनेट मिथाईल )का पर्णीय छिड़काव अवश्य करें।
इस स्प्रे के 48 घंटे बाद जैव शक्ति संजीवनी (ट्राइकोडर्मा) 4-5 किलो सड़ी गोबर की कम्पोस्ट खाद में अच्छी तरह मिला कर कम से कम 2-3 तक छायादार जगह पर तैयार करके गन्ने की लाइनों के साथ जड़ों के पास डाल दे ।
ध्यान रहे यह ला-इलाज रोग है, इसे लगने के बाद इसका उपरोक्तानुसार उपचार ही बचाव है, अन्यथा पूरा का पूरा खेत सूख जायेगा और आपकी सारी लागत बेकार चली जाएगी।
आगे से जो भी गन्ने की बुवाई करें उसमें बीज उपचार एवं भूमि उपचार अवश्य करें एवं गन्ना प्रजाति का बदलाव अवश्य जरूर करना है जैसे- Co 0118, Co15023, Colk14201 की ही बुवाई करे, जिससे लाल सड़न रोग के प्रकोप का खतरे से बचा जा सके ।