Caneup in:नमस्कार किसान भाइयों, एक और बेहतरीन लेख में आपका स्वागत है, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि गन्ने की फसल में पत्तियों का पीला पड़ना और सूखना किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। ऐसे में किसान अक्सर घबरा जाते हैं, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं और अगर सही समय पर इसका निदान और नियंत्रण कर लिया जाए तो फसल को बचाया जा सकता है। आइए इस समस्या के कारणों और उनके निवारण के उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस समय उत्तर प्रदेश और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान गन्ने की फसल में पत्तियों के पीले पड़ने और सूखने की समस्या से जूझ रहे हैं। यह समस्या किसानों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इससे गन्ने की पैदावार और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रही है। किसान समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर यह कौन सी बीमारी है।
विशेषज्ञों की मानें तो इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें जड़ छेदक कीट, गन्ने में पीलापन रोग और उकठा रोग शामिल हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास विभाग के आयुक्त ने गन्ना वैज्ञानिकों और गन्ना विकास अधिकारियों को किसानों को इस समस्या का समाधान बताने के निर्देश दिए हैं, ताकि वे इसका सही समाधान निकाल सकें। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इन रोगों और कीटों की पहचान कर इन पर नियंत्रण कर लिया जाए तो फसल के नुकसान को रोका जा सकता है। आइए जानते हैं इस समस्या के कारणों और इन पर नियंत्रण के उपायों के बारे में।
किस बजह से सूखती है गन्ने की पतिया
गन्ने की फसल में पत्तियों का पीला पड़ना और सूखना किसानों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। इस समय गन्ने के खेतों में कुछ रोगों और कीटों के कारण फसल पीली पड़ रही है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि गन्ने की फसल का पीलापन जड़ छेदक कीट, विषाणु पीला रोग और उकठा रोग के कारण हो सकता है, क्योंकि इस समय इन कीटों और बीमारियों का प्रकोप अधिक देखा जा रहा है। इसलिए जरूरी है कि किसान सबसे पहले अपने खेत में जाकर रोग और कीटों से प्रभावित फसल के लक्षणों की पहचान करें, ताकि सही उपचार और दवाओं का इस्तेमाल करके समय रहते रोकथाम की जा सके।
पत्ती के पीलापन और सूखने का ये कीट है कारण
गन्ने की पत्तियों का पीला पड़ना और सूखना जड़ छेदक कीट के कारण हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार कई गन्ना किसानों के खेतों में जड़ छेदक कीट का प्रकोप देखा गया है। यह कीट गन्ने की जड़ों और तनों को नुकसान पहुंचाता है और मिट्टी के अंदर से छेद करके तनों में प्रवेश कर जाता है। शुरुआती अवस्था में इसका प्रकोप होने पर बीच की पोई सूख जाती है। इस कीट का रंग भूरा होता है,
जबकि इसके लार्वा हल्के पीले रंग के होते हैं। अगर यह कीट गन्ने की जड़ों के पास दिखाई दे तो 200 मिली इमिडाक्लोप्रिड को 400 लीटर पानी में मिलाकर गन्ने की जड़ों के पास ड्रेंचिंग करें। जैविक नियंत्रण के लिए ट्राइकोग्रामा किलोनिसिस बेनिस कार्ड का प्रयोग किया जा सकता है।
इस रोग के कारण गन्ने की पत्तियां पीली होकर सूख जाती हैं।
गन्ने की पत्तियों का पीला पड़ना और सूखना उकठा रोग के कारण भी हो सकता है। यह रोग फ्यूजेरियम मोनिलिफॉर्म, सेफलोस्पिरियम सैक्रे या एक्रेमोनियम प्रजाति के कारण होता है। इस रोग में पत्तियों की केंद्रीय शिरा पीली पड़ जाती है और गन्ना धीरे-धीरे अंदर से हल्का और खोखला हो जाता है। इस पर नियंत्रण के लिए प्रभावित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर दें।
खेत में गन्ने के जड़ वाले क्षेत्र में कार्बेन्डाजिम का छिड़काव करें और 15 दिन के अंतराल पर यही प्रक्रिया दोहराएं। ट्राइकोडर्मा प्रजाति को 100-200 किग्रा कम्पोस्ट खाद में 10 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाकर खेत में फैला दें। सल्फर और जिंक के छिड़काव से भी इस रोग पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है।
कहीं आपके खेत में ये रोग तो नहीं?
गन्ने की पत्तियों का पीला पड़ना और सूखना येलो लीफ वायरस के कारण भी हो सकता है। यह रोग दुनिया भर में गन्ने की फसलों को प्रभावित कर रहा है।
इस रोग में पत्तियों की मध्य शिरा पीली पड़ने लगती है और धीरे-धीरे पूरी पत्ती सूख जाती है। इस रोग का संक्रमण संक्रमित बीज गन्ने और एक प्रकार के रसचूसक कीट मेलानाफिस सैकेरी के माध्यम से होता है। इसे नियंत्रित करने के लिए कीट वाहकों पर नियंत्रण आवश्यक है। इसके लिए मैलाथियान (0.1%) या डाइमेक्रोन (0.2%) का प्रयोग करें। मिट्टी में कार्बोफ्यूरान या फोरेट का प्रयोग करें। सूखी पत्तियों को हटा दें और मासिक अंतराल पर मैलाथियान का छिड़काव करें। इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी फसलों को इन रोगों और कीटों से बचा सकते हैं और गन्ने की उपज और गुणवत्ता को बनाए रख सकते हैं।