cane up enquiry:वर्तमान समय में गन्ने फसल में आ रहे खतरनाक ऱोग जिसके कारण गन्ने के उत्पादन में इस वर्ष भारी गिरावट देखने को मिल रही इसी झारखंड के बोकारो के चास प्रखंड के उलगोड़ा गांव के किसान महादेव गोराई एक बीघा में गन्ने की खेती कर मिसाल कायम कर रहे हैं। किसान महादेव गोराई ने बताया कि वे पिछले 30 सालों से पारंपरिक खेती कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा था। अपने रिश्तेदारों से प्रेरित होकर उन्होंने गन्ने की खेती शुरू की। अब वे तीन गुना लाभ कमा रहे हैं।
किसान भाइयों की खबर के अनुसार महादेव गोराई ने बताया कि पहले वे मौसम के अनुसार सब्जियों की पारंपरिक खेती ही करते थे। इससे उन्हें बहुत कम और सीमित आय प्राप्त होती थी। बाद में उनका रुझान गन्ने की खेती की ओर बढ़ा। तब से उन्हें फसल से उचित लाभ मिल रहा है। दिसंबर और जनवरी के दौरान स्थानीय बाजारों में गन्ने की भारी मांग रहती है। गन्ने की फसल में सिंचाई की बहुत कम जरूरत होती है। यह फसल 9 से 10 महीने में तैयार हो जाती है।
गन्ना कि सही विधि किया हैं?
गन्ना किसान महादेव ने बताया, गन्ने की फसल की बुवाई आमतौर पर मार्च और अप्रैल के महीने में की ट्रेंच विधि द्वारा की जाती है. इसमें नाले के रूप 40 सेमी दूर गन्ने के टुकड़ों को लगाया जाता है. वहीं ईख लगाने से पहले सबसे अधिक महत्वपूर्ण जुताई होती है. क्योंकि इसमें मिट्टी को बहुत ही नर्म करना पड़ता है. इसके लिए कम से कम 17 से 18 बार खेत कि अच्छी जुताई की जाती है.
गन्ना किसान महादेव गोराई बताते है मिट्टी की कोमलता जांचने के लिए खेत की तैयार मिट्टी में 5 फीट की गहराई से कच्चा घड़ा गिराया जाता है। यदि घड़ा नहीं टूटता है तो गन्ने के टुकड़े लगा दिए जाते हैं।
गन्ना बुवाई के कितने दिन बाद खाद डालें
महादेव गोराई बताते हैं. गन्ना बुवाई के कुछ दिनों बाद जैसे ही गन्ने के पौधे निकलते हैं, जैविक खाद का छिड़काव किया जाता है, ताकि पौधे को समय पर पोषक तत्व मिलते रहें। वे अच्छे से बढ़ते हैं। फिर 10 से 11 महीने बाद फसल की कटाई की जाती है।
गन्ना किसान महादेव के अनुसार 33 डिसमिल में गन्ने की खेती में करीब 10 से 12 हजार रुपए की लागत आती है। इस क्षेत्र में वे करीब 1500 से 1600 गट्ठे गन्ने की फसल लगाते हैं। फसल तैयार होने पर वे इसे पिंडरा जोड़ा और चास हाट जैसे स्थानीय बाजारों में बेचते हैं, जिससे उन्हें 40 से 60 हजार रुपए की आमदनी होती है। यह मुनाफा पारंपरिक खेती से कहीं ज्यादा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है।