Caneup:इस समय गन्ने की फसल में कई तरह की बीमारियों ने डेरा डाल रखा है। अप्रैल माह में गेहूं की कटाई के बाद गन्ना बोने वाले किसानों को तना छेदक इल्ली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सूखे पौधे और पानी की कमी के कारण दवाइयां काम नहीं कर रही हैं।
उपाय:
पहली सिंचाई: सूखे खेतों में दवाइयां काम नहीं करेंगी। पहले खेत में पानी लगाएं, फिर चिपचिपी अवस्था में दवाइयों का छिड़काव करें।
दवाइयों का सही इस्तेमाल कैसे करें
- कॉपर ऑक्सी क्लोराइड (250 ग्राम)
- कासुका माइसिन (250 ग्राम)
- साइपरमेथ्रिन या लाडा (250 एमए)
- यूरिया खाद (600 ग्राम प्रति एकड़)
- गन्ना इन दवाओं का मिश्रण बनाकर छिड़काव करें। पानी डालने के तुरंत बाद छिड़काव करें।
3. दूसरा छिड़काव: 8-10 दिन बाद दूसरा पानी डालें और कोराजोन का छिड़काव करें। इसमें ह्यूमिक एसिड (500 ग्राम प्रति एकड़) मिलाएं। इसे एनपीके 19-19-19 के साथ मिलाकर इस्तेमाल करें।
अतिरिक्त सुझाव:
1. अंकुरण और वृद्धि बढ़ाने के लिए: यदि पौधे में अंकुरण कम हो तो कैल्शियम क्लोराइड और यूरिया के मिश्रण का प्रयोग करें। यदि अंकुरण अच्छा हो और गन्ने को मोटा करना हो तो कैल्शियम नाइट्रेट (15-18 किलोग्राम प्रति एकड़) का छिड़काव करें।
2. वर्षा के बाद खाद का प्रयोग: वर्षा के बाद 600 ग्राम यूरिया, 500 ग्राम ह्यूमिक एसिड और 3 किलोग्राम सागर का घोल बनाकर पानी में मिला दें।
निष्कर्ष
गन्ने में तना छेदक और अन्य समस्याओं से निजात पाने के लिए सही समय पर सिंचाई और उचित दवाओं का प्रयोग जरूरी है। इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी गन्ने की फसल को सुरक्षित और स्वस्थ रख सकते हैं।
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